Saturday, 9 September 2023

(10.4.3) A Vain Stag (A Story) A Story of a Vain stag

A Vain Stag (A Story) A Story of a Vain stag

Once there was a stag in a forest. One fine morning he was drinking water at a pond. By chance he saw his reflection in the water. He looked at his horns. They were very beautiful. He praised his beautiful horns. Then he looked at his legs. They were thin and ugly. He cursed his ugly legs.  

Just then a hunter came there. He had some hounds. The hounds saw the stag and began to chase him. The stag ran fast to save his life. Unfortunately his horns wee caught in the thick bushes. He tried to free them but all in vain. He cursed his beautiful horns and said to himself, “My ugly legs are more useful than my beautiful horns.”

In the mean time, the hounds came there. They fell upon the stag and killed him.

Moral – All that glitters is not gold.

एक घमण्डी बारहसिंगा 

एक बार एक जंगल में एक बारहसिंगा रहता था. एक सुहावनी सुबह वह एक तालाब में पानी पी रहा था. संयोगवश उसने पानी में अपनी परछाई देखी. उसने उसके सींगों को देखा. वे बहुत सुन्दर थे. उसने अपने सुन्दर सींगों की प्रशंसा की. फिर उसने उसकी टांगों की तरफ देखा. वे पतली और भद्दी थी. उसने उसकी भद्दी टांगों को कोसा.

तभी एक शिकारी वहाँ आया. उसके पास कुछ शिकारी कुत्ते थे. शिकारी कुत्तों ने उसे देखा और उसका पीछा करने लगे. बारहसिंगा अपना जीवन बचाने के लिए तेज भागा. दुर्भाग्य से उसके सींग घनी झाड़ियों में फँस गए. उसने उनको मुक्त करने (छुड़ाने) की कोशिश की लेकिन सब व्यर्थ रहा. उसने अपने सुन्दर सींगों को कोसा और स्वयं से कहा, “मेरी कुरूप टाँगें मेरे सुन्दर सींगों से ज्यादा उपयोगी हैं.”

इसी बीच शिकारी कुत्ते वहाँ आ गए. वे बारहसिंगे पर टूट पड़े और उसे मार दिया.

शिक्षा – चमकने वाली हर चीज सोना नहीं होती. 

Search This Blog